रामसिंह अपनी नई बसावट वाली कॉलोनी मेंबढ़ते अपराध की घटनाओं से बहुत चिंतित है। उन्होंने तय किया कि घर की सारी कीमती चीजें निकट की बैंक शाखा में जमा करवाना ठीक रहेगा। उन्हें याद था कि पिछली बार जब वह बैंक में अपनी पेंशन निकलवाने गए थे तो शाखा प्रबंधक ने उन्हें शाखा में उपलब्ध लॉकर सुविधा के बारे में बताया था। जैसे दिन की शुरुआत अखबार पढ़ने से रोज करते हैं, उसी क्रम में अखबार पढ़ते पढ़ते ही उन्हें यह ख्याल आया कि जो भौतिक वस्तुएं जैसे कि सोने चाँदी के गहने, सिक्के आदि तो बैंक के लॉकर में जमा कराई जा सकती है। परंतु दस्तावेज जो की सॉफ्ट कॉपी में भी उपलब्ध है, उनकी सुरक्षा के लिए तो उनके पास कोई अच्छी व्यवस्था है ही नहीं। यही सोचते-सोचते 10 कब बज गए, पता ही नहीं चला। राम सिंह जी जल्द तैयार हुए और निकट की बैंक शाखा में पहुंचे।
आज हर बैंककर्मी ग्राहक सेवा व उनके सवालों को संतुष्ट करना ही अपना प्रमुख ध्येय मानते हैं। बैंक अधिकारी ने उन्हें लॉकर सुविधा के बारे में पूरी जानकारी दी और चाय मंगवाई। । बातचीत के दौरान राम सिंह जी इससे पूर्ण आश्वस्त हो चुके थे कि उन्हें एक मीडियम साइज का लॉकर आसानी से मिल सकता है । चाय पीते पीते राम सिंह जी ने पूछा हमारे पास अपने सॉफ्ट कॉपी डाक्यूमेंट्स को भी सुरक्षित रखने का कोई बेहतर उपाय हो सकता है? तुरंत ही बैंक अधिकारी ने अपनी शाखा में नवनियुक्त गूगल कुमारी को बुलाया। वह न केवल बीटेक की डिग्री ले चुकी थी परंतु लगातार टेक्नोलॉजी से संबंधित अद्यतन जानकारी भी रखती थी। गूगल कुमारी टेक्नोलॉजी संबंधित सभी सवालों में जवाब देने में सक्षम थी। राम सिंह के सवाल को सुनते ही उन्होंने बताया कि इसका एकमात्र हल जो हमारे देश में उपलब्ध है, वह है अंकीय तिजोरी यानी डिजिलॉकर।
राम सिंह के लिए यह बिल्कुल एक नया शब्द था। उन्होंने अपनी डिक्शनरी में भी आज तक डिजी लॉकर नाम का शब्द नहीं देखा था। वह जिज्ञासा वश पूछ बैठे कि यह डिजी लॉकर क्या होता है? तो गूगल कुमारी बोली “ अंकीय तिजोरी (डिजी लॉकर) एक तरह का वर्चुअल लॉकर है जिसे हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री ने जुलाई 2015 में डिजिटल इंडिया अभियान के तहत शुरू किया गया था और इसे बैंक में खाता खोलने के समान ही सुविधा मानी जावे। फिलहाल डिजीलॉकर वेबसाईट हिंदी और अँग्रेजी भाषाओं में उपलब्ध है।“ इतनी जानकारी से राम सिंह जी का मन भरने वाला नहीं था। वह बहुत ही जिज्ञासु स्वभाव के व्यक्ति थे और उसी क्रम को जारी रखते हुए आगे पूछ बैठे तो क्या डिजी लॉकर खोलने के लिए मेरा राशन कार्ड पर्याप्त है? गूगल कुमारी बोली डिजी लॉकर होने के लिए कम से कम आप के पास आधार कार्ड होना चाहिए। तभी आप एक डिजिलॉकर खोल सकते हैं।
राम सिंह: डिजी लॉकर में कौन कौन से डॉक्यूमेंट रखे जा सकते हैं?
गूगल कुमारी उनकी जिज्ञासा देखकर चहक उठी और बोली डिजी लॉकर में अब भारत देश के नागरिक पैन कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट आदि के साथ-साथ कोई भी प्रमाण पत्र पत्र स्टोर कर सकते हैं। छात्र अपनी 10वीं, 12वीं व ग्रेजुएशन आदि की मार्कशीट के साथ-साथ अपने एकेडेमिक, चिकित्सकीय रिकॉर्ड & ड्राइविंग लाइसेंस आदि डॉक्यूमेंट भी स्टोर कर सकते है । आप चाहे तो फोल्डर बनाकर भी अपने डाक्यूमेंट्स अपलोड कर सकते हैं।
रामसिंह बोले कि पिछले सप्ताह उनके पुत्र का इंटरव्यू था और वह इंटरव्यू में ओरिजिनल डॉक्यूमेंट ले जाने से डर रहा था कि कहीं उसकी एमबीए या इंजीनियरिंग की डिग्री रास्ते में खो ना जाए। गूगल कुमारी बोली कि केंद्र सरकार की डिजी लॉकर स्कीम इसमें भी काफी मददगार साबित होती है। आप अपने सभी शैक्षणिक दस्तावेज, पहचान और पते का प्रमाण पत्र डीजी लॉकर में सुरक्षित रख सकते हैं। अगर आप इंटरव्यू देने जा रहे हैं तो वहां अपने दस्तावेज का लिंक दे दीजिए, जिससे आपके दस्तावेज की जांच आसानी से हो जाएगी। आपको अपने साथ फोल्डर में ओरिजिनल सर्टिफिकेट ले जाने की जरूरत नहीं है। इंटरनेट आधारित इस सेवा के जरिए हम जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, शैक्षणिक प्रमाण पत्र जैसे अहम दस्तावेजों को ऑनलाइन ही रख सकते हैं।
रामसिंह जी बोले कि उनका पुत्र बार-बार इंटरव्यू के लिए दस्तावेजों की फोटोकॉपी करवाना और उन्हें अनुप्रमाणित करवाना गैर जरूरी समझता है और इसीलिए इंटरव्यू देने से बचता भी रहता है। गूगल कुमारी हंसी और बोली कि निश्चित ही डिजिटल लॉकर स्कीम का उद्देश्य दस्तावेजों के कागजी रूप को कम करना है। इसके अलावा इससे एजेंसियों के बीच ही दस्तावेजों के आदान-प्रदान का चलन बढ़ाना भी इसका एक मकसद है। डीजी लॉकर पोर्टल की मदद से ही दस्तावेजों का आदान-प्रदान एलेक्ट्रोनिक रूप में पंजीकृत कोष के माध्यम से किया जाएगा, जिससे ऑनलाइन दस्तावेजों की प्रामाणिकता सुनिश्चित होगी। आवेदक अपने दस्तावेज को स्कैन कर वेबसाइट पर अपलोड कर सकते हैं। इसके साथ ही डिजिटल साइन सेवा का उपयोग कर उन पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। इन डिजिटल हस्ताक्षर वाले दस्तावेजों को सरकारी संगठनों या अन्य संस्थाओं के साथ साझा किया जा सकता है। डिजिटल लॉकर की सबसे बड़ी सुविधा ये हैं कि उपयोगकर्ता कहीं से भी और कभी भी अपने दस्तावेजों को इसके जरिए जमा कर सकते हैं। उन्हें निशुल्क सुरक्षित रख सकते हैं, किसी भी सरकारी काम जहाँ दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियाँ देना अनिवार्य होता है वहाँ मूलप्रति या उसकी छायाप्रति देने की बज़ाय अपने लॉकर का URL दे सकते हैं। अधिकारी वहाँ से इन प्रमाणपत्रों को देख सकते हैं।यहाँ दस्तावेजों के डिजिटल स्वरूप से मतलब उनका चित्र है। मूल मुद्रित प्रति तो उस व्यक्ति के पास ही रहेगी, सिर्फ उसकी छायाप्रति ही वेबसाइट पर रखनी होगी। इसको ही डिज़िटल स्वरूप कहते हैं। डिजिटल लॉकर अधिकृत उपभोक्ताओं/ एजेंसियों को किसी भी समय और कहीं भी अपने दस्तावेजों को सुरक्षित तरीके से अपलोड और साझा करने की सहूलियत देता है।
राम सिंह : अंकीय तिजोरी (डिजीलॉकर) पर अकाउंट कैसे बनाएं?
गूगल कुमारी : वेब पोर्टल & मोबाइल एप के जरिये यह उपलब्ध है. डिजीलॉकर ऐप गूगल प्ले स्टोर और एप्पल ऐप स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं. डिजिटल लॉकर आवेदक को आधार से जुड़ा हुआ 1GB का निजी स्टोरेज स्पेस मिलता है, जहां सुरक्षित रूप से ई-दस्तावेजों एवं यूआरएल लिंक को रखा जा सकता है.
- सबसे पहले https://digilocker.gov.in/ पर जाएं.
- इसके बाद दाईं ओर साइन उप पर क्लिक करें.
- नया पेज ओपन होगा जहां अपना मोबाइल नंबर डालें.
- इसके बाद डिजीलॉकर आपके रैजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी भेजेगा जिसे इनपुट करें.
- अपना यूजरनेम और पासवर्ड सेट करें.
- अब डिजीलॉकर का इस्तेमाल कर सकते हैं.
राम सिंह : अपने डाक्यूमेंट्स अंकीय तिजोरी में कैसे अपलोड करें?
गूगल कुमारी : आप अंकीय तिजोरी (डिजिटल लॉकर) पर अपने यूजर नेम और पासवर्ड के अलावा सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, ट्विटर और जीमेल के अकाउंट से भी लॉग-इन कर सकते हैं. लॉग-इन करने के बाद आपका निजी खाता आपके सामने होगा. इसमें दो भाग होंगे. पहले में अलग-अलग एजेंसियों द्वारा आपको जारी प्रमाण पत्र, उनके यूआरएल(लिंक), जारी करने की तारीख और शेयर करने का विकल्प होगा. दूसरे सेक्शन में आपके द्वारा अपलोड प्रमाण पत्र, उनका संक्षिप्त विवरण और शेयर व ई साइन का विकल्प होगा. जरूरी प्रमाण पत्र अपलोड करने के लिए पहले दिए गए विकल्पों में से उचित विकल्प चुनें. जैसे अगर आप प्रमाण पत्र अपलोड करना चाहते हैं तो माई सर्टिफिकेट पर क्लिक करें. अपलोड दस्तावेज़ पर क्लिक कर अपने प्रमाण पत्र चुनें. उसके बारे में मांगी गई जानकारी भरें. ऐसे ही एक-एक कर आप अपने सारे दस्तावेज डिजिटल अंकीय तिजोरी में अपलोड कर सकते हैं.
राम सिंह : कितनी सुरक्षित है अंकीय तिजोरी (डिजीलॉकर)?
गूगल कुमारी : अंकीय तिजोरी (डिजीलॉकर) उतना ही सुरक्षित है जितना कि हमारा बैंक शाखा में बचत खाता या इंटरनेट बैंकिंग। डिजिलॉकर मे हमे एक यूसर आईडी और पासवर्ड बनाना होता है। और उसे हमें अपने आधार कार्ड से जोड़ना (link करना) होता है। साथ में अपना मोबाइल नंबर भी रैजिस्टर्ड करना होता है। यह करने के बाद ही आप डिजिलॉकर मे अपना अकाउंट बना लेते है। अब जब कभी आपको डिजिलॉकर में से अपना कोई दस्तावेज़ उपयोग करना हो तो आप अपने यूसर आईडी और पासवर्ड से लॉगिन करना होगा। फिर आपके रैजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी आयेगा, आपको उस कोड को लॉगिन करने के बाद डालना होगा। तभी आप अपने दस्तावेज़ को देख सकेंगे, और इनका उपयोग कर सकेंगे । इससे डिजिलॉकर बिल्कुल हमारे बचत खाते की तरह ही सुरक्षित है।
राम सिंह : डिजीलॉकर के फायदे क्या है?
गूगल कुमारी : 1. डिजीलॉकर में कभी भी डॉक्यूमेंट ख़राब नहीं होसकते। कई जरुरी कागज कुछ सालो बाद पीले पड़ जाते है । लेकिन जब आप अपने डाक्यूमेंट्स को स्कैन करके डिजीलाकर में सेव कर देते है। तो ऐसी सारी समस्याओ का समाधान हो जाएगा।
- डिजिटल लाकर का एक फायदा है कि जो दस्तावेज़ डिजीलॉकर में सेव हो गए वो कभी नही खो सकते।
- आपके पास इन्टरनेट हो तो डिजीलॉकर में सेव डाक्यूमेंट्स आप दुनिया के किसी भी कोने से उपयोग कर सकते है।
- कभी हम गाडी चला रहे होते है और ड्राइविंग लाइसेंस घर पर भूल जाते है या गाड़ी के पेपर हमारे पास हार्ड कॉपी में उपलब्ध नही होते तो ऐसे में डिजीलाकर का उपयोग करके आप सारी समस्याओं से निजात पा सकते है।
- डिजीलाकर केंद्र सरकार की योजना है और सभी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओ में मान्य है।
- किसी सरकारी ऑफिस में डॉक्यूमेंट की फोटोकॉपी देने की जरूरत नही है सिर्फ अपने डॉक्यूमेंट की सॉफ्ट कॉपी ईमेल कर दे.
- डीजी लॉकर के कारण फ्रॉड की संभावना कम हो गयी है. डीजी लॉकर मे कोई भी व्यक्ति अपना डाटा सेफ रख सकता है । यह पब्लिक वाई-फाई के लिए उपलब्ध नही है इससे यह और भी सेफ हो जाता है। इसमे डाटा का प्रोसैस मैनेजमेंट भी सेफ है और यह किसी भी एसे व्यक्ति के साथ शेयर नही किया जाता जिसका इससे कोई संपर्क नही है।
गूगल कुमारी वार्तालाप को समाप्त कर अपने काउंटर पर चली, जहां ग्राहकों की लंबी लाइन लगी थी। रामसिंह अच्छे से जान चुके थेकि डिजिटल इंडिया को आगे बढ़ाने में सभी बैंक कर्मी पूर्ण सजग व तत्पर हैं।
दीपक स्वामी ,
मुख्य प्रबन्धक (प्रशिक्षण), भारतीय स्टेट बैंक ज्ञानार्जन और विकास केंद्र, अजमेर।