प्रत्यक्ष शेयर निवेश और म्यूचुअल फंड: क्या है बेहतर ?

प्रत्यक्ष शेयर निवेश और म्यूचुअल फंड: क्या है बेहतर ?

 

आम निवेशकों के मन में हमेशा से यह प्रश्न उठता है कि प्रत्यक्ष रूप से शेयर में निवेश करना अच्छा है या म्यूचुअल फंड के माध्यम से? यह कोई वस्तुनिष्ठ प्रश्न नहीं है कि इसका उत्तर अकस्मात दिया जा सके। इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए हमें इसकी गहन विवेचना करनी पड़ेगी। सारे पहलुओं को जानने के पश्चात ही हम किसी निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं।

 

 

किसी भी निवेश के समय दो पहलुओं का ध्यान रखना चाहिए: 1. निवेश पर प्रतिफल, 2. जोखिम। इन्हीं परिप्रेक्ष्य में हम इस विषय का मूलयांकन करेंगे जिससे किसी भी निवेशक को मार्गदर्शन मिल सके। अगर जोखिम की दृष्टि से मूल्यांकन किया जाय, तो सीधे शेयर में निवेश करना म्यूचुअल फंड की तुलना में ज्यादा जोखिम से भरा माना जा सकता है। म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय जोखिम बंट जाता है, क्योंकि किसी फंड के अंदर कई कंपनियों के शेयर शामिल रहते हैं। शेयरों में खुद से निवेश करने से पूर्व हमें व्यापक शोध करना होगा। यह शोध और भी ज्यादा आवश्यक हो जाता है, अगर हम एक नए निवेशक हैं। वहीं म्यूचुअल फंड के मामले में अनुसंधान का कार्य विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है और एक पेशेवर फंड मैनेजर द्वारा निवेश का प्रबंधन किया जाता है। हालाँकि यह सेवा निःशुल्क नहीं होती है,बल्कि इसके लिए फंड हाउस द्वारा कुछ प्रबंधन शुल्क लिया जाता है।

 

 

अगर हम वित्तीय बाजार में पूर्व से अनुभव नहीं रखते हैं या बहुत कम अनुभव रखते हैं, तो विशेषज्ञों के अनुसार निवेश की शुरुआत म्यूचुअल फंड के माध्यम से करना उचित होगा, क्योंकि प्रत्यक्ष शेयर में निवेश बहुत बार उनके लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। इससे जोखिम तुलनात्मक रूप से कम होगा क्योंकि निवेश में विविधता होगी साथ ही विशेषज्ञों द्वारा निर्णय लिया जाएगा।ये विशेषज्ञ कंपनियों के वित्तीय दस्तावेजों का विश्लेषण कर भविष्य की संभावनाओं का पता लगाने में सक्षम होते हैं। म्यूचुअल फंड में निवेश के साथ ही हमें एक फंड मैनेजर की सेवा का लाभ मिल जाता है। किसी फंड मैनेजर के पास वित्तीय क्षेत्र से संबंधित व्यापक विशेषज्ञता एवं अनुभव होता है। चाहे वे फंड के लिए शेयरों की खरीद कर रहे हों या उनकी निगरानी कर रहे हों, हमें स्वयं हर समय इसका ध्यान रखने की जरूरत नहीं है। यह सुविधा सीधे खुद से स्टॉक निवेश के मामले में उपलब्ध नहीं है। इस मामले में निवेश के लिए शेयरों के चयन एवं उनकी निगरानी की पूरी जिम्मेदारी हमारी ही है। खुद से शेयर निवेश में गलती होने की स्थिति में कभी-कभी पूरी रकम का नुकसान भी हो सकता है। इसे हम एक उदाहरण द्वारा अच्छी तरह से समझ सकते हैं। जब हम कार से कहीं यात्रा पर जाते हैं, तो हमारे पास दो विकल्प होते हैं। या तो हम कार खुद से चलाएं या फिर किसी अच्छे चालक की सेवा लें। अगर हम खुद से चलाते हैं, तो हमें हर समय सतर्क रहना होगा,साथ ही हमारे पास कार चलाने का पर्याप्त अनुभव भी होना आवश्यक है अन्यथा दुर्घटना भी हो सकती है। वहीं अगर हम अनुभवी चालक की सेवा लेते हैं,तो हमें ज्यादा परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। हमारी अगर इच्छा हो तो पीछे की सीट पर आराम से बैठकर अन्य कार्य कर सकते हैं। हमें भरोसा होता है कि चालक हमें सही समय पर हमारे गंतव्य स्थान पर पहुंचा ही देगा। हमारा दायित्व सिर्फ अनुभवी चालक के चयन के समय ही होता है। उसके बाद का दायित्व चालक का होता है। हम चालक के अनुभव पर भरोसा कर सकते हैं।यहाँ खुद से कार चलाने का उदाहरण प्रत्यक्ष शेयर निवेश के लिए दिया गया है और अनुभवी चालक से सेवा लेने का उदाहरण म्यूचुअल फंड के लिए दिया गया है। बीच-बीच में पूरे निवेश पर नजर बनाई रखनी चाहिए। जैसे चालक को हर समय टोकने से भी उसका ध्यान घटता है और दुर्घटना हो सकती है, ठीक उसी प्रकार म्यूचुअल फंड में भी ध्यान रख सकते हैं।

 

यद्यपि हमें म्यूचुअल फंड कंपनी को प्रबंधन शुल्क की अदायगी करनी पड़ती है, लेकिन दूसरी ओर ब्रोकरेज शुल्क में प्रत्यक्ष शेयर खरीद की तुलना में बचत होती है। ऐसा इसलिए होता है कि व्यक्तिगत निवेशक की तुलना में फंड मैनेजर थोक में शेयर की खरीद करते हैं, जिससे उन्हें ब्रोकरेज की कम दर चुकानी होती है। व्यक्तिगत निवेशक को डीमेट खाते के रखरखाव हेतु भी शुल्क की अदायगी करनी होती है,जो किम्यूचुअल फंडके मामले में देय नहीं है।

 

एक अच्छे पोर्टफोलियो में कम से कम 25 से 30 विविध स्टॉक शामिल होने चाहिए जो कि एक छोटे निवेशक के लिए काफी मुश्किल कार्य होगा। म्यूचुअल फंड के माध्यम से कम राशि वाले निवेशक भी विविध पोर्टफोलियो प्राप्त कर सकते हैं। म्यूचुअल फंड के मामले में फंड मैनेजर ही यह निर्णय करता है कि किस स्टॉक को पोर्टफोलियो में शामिल करना है। इसमें हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता है कि किस स्टॉक में कितनी मात्रा और अवधि के लिए निवेश रहेगा? शेयरों में निवेश करने वाले व्यक्ति का म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले निवेशक की तुलना में अपने निवेश पर अधिक नियंत्रण होता है।

 

 

म्यूचुअल फंडके मामले में आपको अच्छा रिटर्न प्राप्त करने के लिए कम से कम 5 से 7 वर्षों के लिए निवेश में बने रहना होगा, क्योंकि कम अवधि में रिटर्न अनिश्चित होता है। वहीं निवेश की अवधि अगर दीर्घकालिक हो तो पूर्व के अनुभव से ऐसा देखा गया है किअच्छा रिटर्न प्राप्त होता है।शेयरों के मामले में यदि हम सही स्टॉक चुनते हैं और उन्हें सही समय पर बेचते हैं, तो तुलनात्मक रूप से कम समय में भी अच्छा रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं। निवेश के प्रतिफल की दृष्टि से अगर निवेशक के पास पर्याप्त ज्ञान और अनुभव हो तो प्रत्यक्ष शेयर निवेश में म्यूचुअल फंड की तुलना में ज्यादा लाभ होने की संभावना रहती है, किन्तु जानकारी के अभाव में नुकसान होने की संभावना भी ज्यादा हो जाएगी।

 

शेयरों में सीधे निवेश के लिए हमारा डीमैट खाता होना आवश्यक है। म्यूचुअल फंड के लिए डीमैट खाता होना आवश्यक नहीं है, हालांकि अगर हमारे पास एक डीमैट खाता हो तो उसके माध्यम से भी हम म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। म्यूचुअल फंड एक नए निवेशक के लिए आदर्श होते हैं, जो शेयर बाजार के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं। दूसरी ओर शेयरों में प्रत्यक्ष निवेश हेतु शेयर बाजार और कंपनियों के प्रदर्शन के गहरे ज्ञान की आवश्यकता होती है। प्रत्यक्ष शेयर निवेश बाजार निर्णयों से जुड़ी हुई एक सक्रिय गतिविधि है और अनुभवी स्टॉक निवेशकों के लिए ही उपयुक्त है।म्यूचुअल फंड के मामले में निवेशक को हर समय सक्रिय रहनेकी जरूरत नहीं होती। अतःएक आम निवेशक के लिए इसके माध्यम से निवेश करना आसान है। प्रत्यक्ष निवेश के लिए हमारे पास अधिक समय, जानकारी, अनुभव,और रूचि होनी चाहिए।

 

म्यूचुअल फंड में हम मासिक किस्तों में एस.आई.पी.(सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान) के माध्यम से निवेश कर सकते हैं, जो कि प्रत्यक्ष शेयर निवेश में संभव नहीं है। उदाहरण के तौर पर मान लें कि किसी कंपनी के एक शेयर की कीमत अगर किसी समय 9000 रूपये है, तो हमें उस कंपनी के शेयर में प्रत्यक्ष निवेश करने के लिए कम से कम 9000 रूपये तो लगाने ही होंगे। अब अगर हम अपने पोर्टफोलियो में 25-30 शेयर रखना चाहते हैं तो एक-एक शेयर खरीदने के लिए भी अच्छी ख़ासी रकम लगानी होगी। वहीं एस.आई.पी. के तहत मात्र 500 रूपये भी अगर निवेश करते हैं, तो एक विविध पोर्टफोलियो में निवेश हो सकता है।

 

म्यूचुअल फंडमें विविध पोर्टफोलियो के कारण जोखिम घट जाता है। उदाहरण के लिए यदि फंड के पोर्टफोलियो में 40स्टॉक हैं, जिनमें 5 का मूल्य गिर रहा है तो अन्य 35 में थोड़ी सी भी वृद्धि होने पर भी हमारे फंड का मूल्य नीचे गिरने से बच जाएगा। शेयरों में प्रत्यक्ष निवेश हमें यह सुरक्षा प्रदान नहीं करता है और आपके निवेश को तुलनात्मक रूप से अस्थिर बनाता है। म्यूच्यूअल फंड के तहत पोर्टफोलियो में विविधता लाना आसान है। इसके तहत इक्विटी फंड, हाइब्रिड फंड, डेट फंड जैसे कई विकल्प हैं। निवेशक अपनी जरूरतों के अनुरूप उपयुक्त फंड का चयन कर सकते हैं। प्रत्यक्ष शेयर में निवेश के तहत एक बड़े पोर्टफोलियो को बनाना और उसका रखरखाव करना काफी दुष्कर कार्य है।

 

 

म्यूचुअल फंड के तहत इनकम टैक्स में सेक्शन 80सी के तहत छूट प्राप्त किया जा सकता है अगर हमने इक्विटी लिंक्ड बचत योजना (ELSS)में निवेश किया हो। यह लाभ प्रत्यक्ष शेयर निवेश में उपलब्ध नहीं है। हम म्यूचुअल फंड या शेयर में निवेश करें यह हमारे ज्ञान और बाजार के अनुभव और हमारे पास कितना समय उपलब्ध है इस पर निर्भर करता है। म्यूचुअल फंड और स्टॉक दोनों के अपने-अपने फायदे हैं। हमारे लिए कौन सा विकल्प उपयुक्त है यह मोटे तौर पर तीन कारकों पर निर्भर करता है:  जोखिम रिटर्न, समय-सीमा एवं देय शुल्क । सबसे पहले आपको यह तय करना होगा कि आप कितना जोखिम उठा सकते हैं एवं आप कितना रिटर्न चाहते हैं। यदि हम अधिक रिटर्न चाहते हैं तो हमें उच्च जोखिम उठाने के लिए तैयार रहना होगा। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि हमारे निवेश पर शोध करने के लिए हमारे पास कितना समय है। तीसरा पहलू यह है कि हम किस प्रकार का शुल्क वहन करने को तैयार हैं।

 

म्यूचुअलफंड दो तरह से विविधता हासिल करते हैं। पहला हम ऐसे म्यूचुअल फंड का चयन कर सकते हैं, जिसके पोर्टफोलियो में स्टॉक और बॉन्ड दोनों का मिश्रण हो । बॉन्ड शेयरों की तुलना में एक अपेक्षाकृत सुरक्षित निवेश है, अतः उन्हें अपने पोर्टफोलियो में शामिल करने से जोखिम कम करने में मदद मिलती है। दूसरे यदि किसी फंड में 100 % स्टॉक भी है, तो भी सारा निवेश एक ही कंपनी के स्टॉक में नहीं किया जाता । अगर किसी एक कंपनी के स्टॉक की कीमत किसी भी कारण से बिल्कुल निम्न स्तर पर पहुंच जाती है, तो किसी म्यूचुअलफंड निवेशक को जिसके फंड में वह कंपनी भी शामिल है, उतना नुकसान नहीं होगा। वहीं दूसरी ओर अगर किसी निवेशक ने उस कंपनी के शेयर में प्रत्यक्ष निवेश किया है, तो उसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए लेहमेन ब्रदर्स ने 2008 में दिवालिया होने के लिए आवेदन किया जो उस समय यू.एस.ए. में चौथा सबसे बड़ा निवेश बैंक था। एक प्रमुख कंपनी होने के कारण कई म्युचुअल फंड के पोर्टफोलियो में लेहमेनब्रदर्स के स्टॉक शामिल थे। उन फंड्स को गिरावट का सामना करना पड़ा। हालांकि जिन निवेशकों ने प्रत्यक्ष रूप से लेहमेन ब्रदर्स के शेयर में निवेश किया था उन्होंने पूरा पैसा खो दिया।

 

दूसरा कारक है कि हम शोध के लिए कितना समय लगाना चाहते हैं और क्या हमारे पास इतना धैर्य है कि हम कंपनियों के वित्तीय विवरणों का मूल्यांकन करना सीख सकें। अगर हम समय बचाना चाहते हैं, तो म्यूचुअलफंड के साथ जाना अधिक उपयुक्त होगा । अगर हम प्रत्यक्ष स्टॉक में निवेश के लिए इच्छुक हैं,तो हमें अपने पोर्टफोलियो में जुड़ने वाले प्रत्येक कंपनी पर शोध करने की आवश्यकता है।हमें वित्तीय रिपोर्टों को पढ़ना भी आना चाहिए। ये रिपोर्टें निवेशकों को यह बताती हैं, कि कंपनी कैसा प्रदर्शन कर रही है। यह जानकारी निवेशकों को यह निर्धारित करने में मदद करती है कि किसी कंपनी की वास्तविक कीमत कितनी है और क्या स्टॉक मूल्य, उस मूल्य के आनुपातिक है?

 

 

निवेशकों को यह भी ध्यान में रखना होता है कि समग्र अर्थव्यवस्था कैसी स्थिति में है। भले ही एक कंपनी सभी सही निर्णय ले, लेकिन इसके बावजूद उसका शेयर मूल्य गिर सकता है, अगर उस उद्योग के बारे में कोई नकारात्मक खबर पता चल जाए। एक व्यापक मंदी पूरी अर्थव्यवस्था की मंदी का कारण बन सकती है। उन प्रत्यक्ष निवेशकों का कार्य और भी कठिन हो जाता है जो अपने लिए एक बैलेंस्ड पोर्टफोलियो बनाना चाहते हैं। किसी भी निवेश के लिए शोध की आवश्यकता होती है। किसी अच्छी कंपनी का चयन करने के लिए आपको दर्जनों कंपनियों के वित्तीय दस्तावेजों की जांच करनी पड़ सकती है। म्यूचुअल फंड का चयन करने में भी शोध की आवश्यकता है, लेकिन तुलनात्मक रूप से बहुत कम। हमें सिर्फ अपने लिए उपयुक्त फंड का चयन करना है। हमें म्यूचुअलफंड के पूर्व के प्रदर्शन को देखना चाहिए एवं उसी श्रेणी के अन्य फंडों का प्रदर्शन भी देखना चाहिए। एक बार जब हम ऐसा करके उपयुक्त फंड का चयन कर लेते हैं, तो हमारे शोध का बड़ा हिस्सा समाप्त हो जाता है। हर समय इस बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है, कि म्यूचुअल फंड में कौन से शेयर हैं या उन्हें कब बेचना है। म्यूचुअलफंड मैनेजर निवेशों पर शोध करेंगे और तय करेंगे कि कब क्या निर्णय लेना है।

 

शेयरों और म्यूचुअल फंड में निवेश की विवेचना के आधार पर यह कहा जा सकता है कि स्टॉक और म्यूचुअल फंड दोनों ही निवेश अच्छे और लाभदायक हैं। निवेशकों को अपनी क्षमताओं के आधार पर उचित विकल्प का चयन करना चाहिए। उन्हें अपनी आय, जोखिम लेने की क्षमता, बाजार का ज्ञान, अनुभव, निवेश की  समयावधि, समय की उपलब्धता और वित्तीय लक्ष्य जैसे कारकों पर निवेश से पूर्व विचार करना चाहिए।इनके आधार पर वे शेयर और म्यूचुअल फंड के बीच अपने लिए अधिक उपयुक्त विकल्प का चयन कर सकते हैं। नए निवेशकों के लिए उपयुक्त होगा कि वे अपने निवेश की शुरुआत म्यूचुअल फंड के माध्यम से करें और बाद में ज्ञान और अनुभव बढ़ने पर प्रत्यक्ष शेयर में निवेश करें और धीरे-धीरे राशि में वृद्धि करें।

 

 

 

कुमार निशीथ

मुख्य प्रबंधक(प्रशिक्षण)

भारतीय स्टेट बैंक ज्ञानार्जन एवं विकास संस्थान, पटना

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