वर्ष 2018-19 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में कृषि और उसके संबद्ध क्षेत्रों जैसे पशुपालन, मत्स्य-पालन, खाद्य प्रसंस्करण आदि का योगदान 18 प्रतिशत रहा है। वैश्विक महामारी के इस परिदृश्य में वर्ष 2020 के प्रथम दोनों तिमाहियों में जहाँ सभी क्षेत्रों में गिरावट की वजह से राष्ट्रीय जीडीपी में कमी अनुमानित है, कृषि एकमात्र क्षेत्र है जिसने अप्रैल-जून 2020 में भी सकारात्मक विकास दर्ज किया है। कृषि, देश की आधी से ज्यादा आबादी को न केवल रोजगार के अवसर उपलब्ध कराती है वरन् एक अरब तीस करोड़ से ज्यादा बड़ी जनसंख्या के भोजन आपूर्ति हेतु खाद्यान्न भी उपलब्ध कराती है। अतः भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि और कृषक की महती भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
आजादी के बाद कृषि विकास पर विशेष जोर देने के कारण खाद्य फसलों के प्रति हेक्टेयर उपज में पर्याप्त वृद्धि हुई है। कृषि की स्थिति में सुधार के बावजूद किसान की परिस्थिति में विशेष सुधार नहीं दिखाई देता। विडंबना ये है कि जो किसान पूरी आबादी के अन्नदाता हैं, वही अपने भोजन और अन्य आवश्यकताओं की आपूर्ति हेतु विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे हैं। कभी प्राकृतिक आपदा तो कभी व्यक्तिगत समस्याएं, वृद्धावस्था में शारीरिक क्षमता कम हो जाने से कृषि कार्य हेतु श्रम करना कठिन हो जाता है। अर्थोपार्जन क्षमता के ह्रास और सतत आय के अभाव में किसान की मुश्किलें बढ़ती ही जाती हैं। मज़बूरी में गरीब किसान या तो खुद अपने जीवन का अंत कर लेते हैं या सुविधा और सम्पदा के अभाव में उनका जीवन स्वतः असमय अंत को प्राप्त हो जाता है।
किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना की शुरुआत 12 सितम्बर 2019 को की गयी जिससे वृद्ध किसानों के लिए विषम परिस्थितियों में भी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए एक सुनिश्चित राशि मिल सकेगी। किसान सक्षम व आत्मनिर्भर होंगे और आर्थिक रूप से उन्हें किसी पर भी आश्रित नहीं रहना पड़ेगा। इस योजना के अंतर्गत भारत के सभी छोटे और सीमान्त किसानों को शामिल किया गया है। वर्ष 2022 तक 5 करोड़ किसानों को इस योजना का लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है अबतक करीब 21 लाख किसानों का पंजीकरण हो चुका है।
मानधन योजना किसानों के लिए एक सामाजिक सुरक्षा योजना है जिससे 60 वर्ष की आयु के बाद वृद्धावस्था में उन्हें आर्थिक सहूलियत मिल सकेगी। इस योजना के अंतर्गत शुरूआत में किसान को हर महीने अपनी आय से एक निश्चित अल्प राशि इस योजना में जमा करनी होती है। किसान के योगदान के बराबर की राशि सरकार द्वारा किसान के खाते में जमा की जायेगी और 60 वर्ष की आयु पूरे होने पर इस योजना के नियमानुसार किसानों को हर महीने कम से कम 3 हजार रूपये दिए जायेंगे। देश के गरीब, लघु और सीमांत किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। नौकरीपेशा वर्ग की तरह 60 वर्ष की उम्र के बाद अब किसान भी इस पेंशन योजना के माध्यम से एक आय सुनिश्चित कर सकते हैं।
18 से 40 वर्ष तक की आयु वाले कोई भी लघु और सीमांत किसान जिनके पास अधिकतम 2 हेक्टेयर खेती योग्य जमीन है, प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं। पंजीकरण हेतु आधार कार्ड, (आयु और पहचान प्रमाण पत्र) आय प्रमाण पत्र, दो पासपोर्ट साइज फोटो, बैंक खाते की पासबुक और खसरा-खतौनी के साथ मोबाइल नंबर होना आवश्यक है। किसान के पास आधार कार्ड से लिंक बचत बैंक खाता या प्रधानमंत्री किसान खाता होना चाहिए। नजदीकी जनसेवा केंद्र (कॉमन सर्विस सेंटर,CSC) पर जाकर अथवा राज्य नोडल अधिकारी के पास आवश्यक दस्तावेज जमा करा कर निःशुल्क पंजीकरण करवाया जा सकता है। इस योजना के आवेदन करने से लाभ पाने तक की सुविधा ऑनलाइन उपलब्ध है, यानि घर बैठे किसान इसका लाभ उठा सकते हैं।
आवेदक किसान को 60 वर्ष की उम्र तक प्रतिमाह 55 रुपये से 200 रुपये तक (अपनी वर्तमान उम्र के अनुसार) अंशदान करना होता है। इन्हें योजना के तहत कम से कम 20 साल और अधिकतम 40 साल तक मासिक अंशदान करना होगा, जो किसान की उम्र पर निर्भर होता है। यदि किसान की उम्र 18 साल है तो मासिक अंशदान 55 रुपये होगा और यह राशि 40 साल तक जमा करानी होगी। इसी तरह 40 की उम्र में जुड़ने वाले किसान को न्यूनतम 20 साल तक प्रतिमाह 200 रुपये जमा करने होंगे। 60 वर्ष की आयु पूरी होने पर किसानों को कम से कम 3 हजार रुपये मासिक पेंशन उनके खाते में दी जाएगी।
यदि किसान इस पेंशन का लाभ ले रहा है और उसकी मृत्य हो जाती है तो इस अवस्था में उसकी पत्नी पारिवारिक पेंशन के रूप में 50% पेंशन पाने की हकदार होगी। पति की मृत्यु के बाद पत्नी को प्रतिमाह 1500 रूपये आर्थिक सहायता दी जाएगी। 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने से पहले यदि किसान स्थायी रूप से विकलांग हो जाता है और अबतक उसने नियमित रूप से मासिक अंशदान किया है तो भविष्य में योगदान जारी रखने में असमर्थता की स्थिति में किसान की पत्नी नियमित भुगतान करके इस योजना को जारी रख सकती है। आर्थिक असमर्थता की स्थिति में किसान की पत्नी मासिक अंशदान रोक भी सकती है। इस परिस्थिति में वास्तविक अर्जित ब्याज अथवा बचत खाते के ब्याज की दर से जोड़े गये ब्याज के साथ, अधिकतम राशि पेंशन फंड द्वारा देय होगी। एक ही परिवार से पति-पत्नी दोनों अलग-अलग इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
सरकार द्वारा चलायी जा रही किसी अन्य मानधन योजना के लाभार्थी किसान इस योजना में आवेदन नहीं कर सकते। राष्ट्रीय पेंशन योजना, कर्मचारी राज्य बीमा निगम योजना, कर्मचारी भविष्य निधि योजना जैसी किसी अन्य सामाजिक सुरक्षा योजना में शामिल लघु और सीमांत किसान भी इस योजना का लाभ नहीं उठा सकते।
सही अर्थों में यह मानधन एक सामाजिक सुरक्षा के साथ गरीब और वृद्ध अन्नदाता का सम्मान है जो उन्हें बिना पराश्रित हुए एक नियत आय के साथ एक सम्मानित और बेहतर जीवन जीने में सहायक सिद्ध हो सकता है। योजना अच्छी है किन्तु अभी भी जागरूकता और जानकारी के आभाव में बड़ी संख्या में योग्य और जरुरत मंद किसान इस लाभ से वंचित हैं। 5 करोड़ किसानों को लाभ पहुँचाने का लक्ष्य अभी दूर है, आवश्यकता है समुचित प्रचार प्रसार की, समय पर जरूरतमंद तक सही जानकारी पहुँचाने की।
सरिता गुप्ता
मुख्य प्रबंधक,
स्टेट बैंक ज्ञानार्जन एवं विकास संस्थान, पटना